गुरुवार, 25 दिसंबर 2014

मेरा और मेरी पत्नी का राशिफल

मेरा और मेरी पत्नी का राशिफल

// सितारों के असर के बारे में एक कुदरती जिज्ञासा हर आदमी में होती है। वही कुदरती जिज्ञासा हमें राशिफल का गुलाम बनाती है। दरअसल हम राशिफल का दिखावा करते हैं, उस पर पूरा-पूरा विश्वास नहीं करते। अगर हम विश्वास करते हैं तो राशि और फल, दोनों पर अलग-अलग करते हैं। अच्छी राशि यानी धन बराबर आता रहे और पेड़ न लगाने पर भी हमें भरपूर फल मिलते रहें, यह हमारी आकांक्षा रहती है। //


सारी दुनिया राशिफल के चक्कर में है। ज्यादातर आदमी राशिफल के भरोसे अपना जीवन जी रहे हैं। हमारे हिंदुस्तान में तो राशिफल पर जीवन का भविष्य टिका हुआ है। बच्चा पैदा होता है तो जच्चे की तबियत पूछने के बजाय बाप पंडित के यहाँ राशिफल पूछने दौड़ जाता है। बच्चे का नाम, उसका अन्नप्राशन, शाला प्रवेश, नौकरी-व्यवसाय, विवाह आदि राशिफल के अनुसार होते हैं। जमीन खरीदना, मकान बनवाना, उसमें प्रवेश करना, यात्रा करना, मुकदमा जीतना, चुनाव लड़ना आदि जितना धन पर निर्भर नहीं करता उतना राशिफल पर निर्भर होता है।
पर असलियत कुछ दूसरी है। सितारों के असर के बारे में एक कुदरती जिज्ञासा हर आदमी में होती है। वही कुदरती जिज्ञासा हमें राशिफल का गुलाम बनाती है। दरअसल हम राशिफल का दिखावा करते हैं, उस पर पूरा-पूरा विश्वास नहीं करते। अगर हम विश्वास करते हैं तो राशि और फल, दोनों पर अलग-अलग करते हैं। अच्छी राशि यानी धन बराबर आता रहे और पेड़ न लगाने पर भी हमें भरपूर फल मिलते रहें, यह हमारी आकांक्षा रहती है। यही वह आकांक्षा है जो हमें राशिफल जानने को विवश करती है।
मेरा राशिफल पर कोई विश्वास नहीं है, पर पत्नी राशिफल पर पूरा विश्वास जताती है। पत्नी के राशिफल पर विश्वास करने के मौलिक कारण हैं। राशिफल के अनुसार ही उसे हमारे साथ सात चक्कर लगाने पड़े थे। तब से वह अपने दुर्भाग्य, जिसे आमतौर पर वह सौभाग्य कहती है, का जिम्मेदार राशिफल को ठहराती है। इसी कारण वह राशिफल की प्रबलता की कायल है।
कई साल पहले की बात है। हम कुछ परेषानियों में थे। पता नहीं पत्नी को क्या सूझा कि वह पंडित के पास गई और मेरा राशिफल पूछ आई। पता चला, मेरी राशि पर शनि की दशा है। शनि की शान्ति के लिए पंडितजी ने जो-जो उपाय बताए, उनसे मुझे निश्चय हो गया कि अब जरूर शनिचर लगने वाला है। पंडितजी ने बताया था, ‘हर शनिवार को पाँच ब्राह्मणों या पाँच कन्याओं को भोजन कराइए, तेल का दान कीजिए। पीपल के वृक्ष तले दीया जलाइए और पुखराज की अँगूठी बनवाकर पहनिए।’
अच्छा-खासा खर्च था। मैंने पुखराज की तलाश की। पता चला, साधारण पुखराज हजार-बारह सौ में और अच्छा पुखराज तीन-चार हजार रुपए में आएगा।
पत्नी बोली, ‘तीन-चार हजार वाला ठीक है। ज्यादा असर करेगा।’
क्या करता ? अखरने के बावजूद मुझे छत्तीस सौ का पुखराज खरीदना पड़ा। यद्यपि उस शनि की दशा में मुझे दो पुरस्कार मिले। नगरपालिका ने मेरे सम्मान का प्रस्ताव पारित किया। इस सबसे चाँदी हुई पत्नी की, क्योंकि मैंने वह पुखराज कभी नहीं पहना, पर पत्नी ने हार बनवाकर लाॅकेट में जड़वा लिया। आज उसके गले में जब पुखराज लटकता देखता हूँ तो शनि महाराज की कारस्तानी याद आ जाती है।
राशिफल पर मेरे अविश्वास का एक कारण और है। वह यह कि सारी दुनिया में सिर्फ बारह राशियाँ होती हैं। यदि राशिफल सही होता तो सारी दुनिया के लोगों का भाग्य बारह तरह का ही हर दिन, हर हफ्ते और हर बरस होता। दुनिया के आदमियों में अनगिनत अंतर न होते। आप ही सोचिए, यदि कर्क राशिवालों को किसी हफ्ते धन का लाभ होना है तो सभी कर्क राशिवालों की चाँदी होती। पर सिंह राशिवालों की मुसीबत, क्योंकि उस हफ्ते सिंह राशिवालों को धन हानि का योग बताया गया होता है। मिथुन राशिवालों को यदि व्यापार में लाभ बताया गया होता है तो तुला राशिवालों को व्यापार में हानि। यदि ऐसा होता तो लाभ और हानि राशिवालों में उस सप्ताह आपसी दंगा होते कितनी देर लगती ? किसी हफ्ते यदि कुंभ राशिवालों का पदोन्नति का योग होता तो सरकार की मुसीबत हो गई होती, क्योंकि सरकार तो पद खाली होते हुए भी पदोन्नति आदेश नहीं करती, सभी कुंभ राशिवालों को पदोन्नति कहाँ से दे देती ? मीन राशिवालों के लिए यदि अपमान और कलंक का योग होता तो दर्जनों सांसद और सैकड़ों विधायक मीन राशिवाले हैं, क्या उनको अपमान और कलंक का सामना एक ही हफ्ते में करना पड़ता ? कन्या और मकर राशिवाले भी एक ही हादसे और हर्ष के अवसर भुगतते और उस हफ्ते शराब की बिक्री काफी बढ़ जाती। पर यह सब होता नहीं, क्योंकि सारी मानव जाति को बारह खानों में नहीं बाँटा जा सकता।
फिर भी राशिफल खूब पढ़ा जाता है और हर पत्र-पत्रिका एवं न्यूज चैनल उसका एक काॅलम तथा प्रोग्राम अवश्य रखता है। अच्छी से अच्छी साहित्य और ज्ञान-विज्ञान की सामग्री का बलिदान क्यों न करना पड़े, राशिफल वाला काॅलम अवश्य छपता है, प्रसारित होता है। यदि अखबार और पत्रिकावाले केवल विज्ञापनों और राशिफलों से भरा अंक निकालें तो वह भी अच्छी संख्या में बिक सकता है।
राशिफल पर पूरे अविश्वास के बावजूद मैं भी राशिफल अवश्य पढ़ता हूँ। पर एक चतुराई बरतता हूँ। पाठकों को मेरी सलाह है कि वे अपना राशिफल पढ़ते हुए अपनी पत्नी का राशिफल भी अवश्य पढ़ लिया करें। तब मुझे पूरा विश्वास है कि वे राशिफल पढ़ने के दीवाने तो बने रहेंगे पर मेरी तरह उस पर अविश्वास भी करेंगे। अविश्वास करते हुए भी विश्वास बनाए रखने का एक अजीब सुखद मजा होता है। घरेलू जिंदगी में और चुनावों में यह बड़े काम की चीज है।
इधर एक और मुसीबत राशिफलों के बारे में आ खड़ी है। हमारा राशिफल उस जमाने का होता है जिस जमाने में हिंदुस्तान में लोग चैत्र, वैशाख या मार्गशीर्ष, फाल्गुन जैसे हिंदुस्तानी महीनों में पैदा होते थे, पर अब पूरे हिंदुस्तान में लोग जनवरी, मार्च या नवंबर-दिसंबर जैसे अंग्रेजी महीनों में पैदा होने लगे हैं। हिंदुस्तानी महीनों में पैदा होनेवाले लोग कर्क, मीन, सिंह, मिथुन जैसी राशियों में अपना राशिफल देखते हैं, पर अंग्रेजी महीनों में पैदा होनेवाले तारीखों के अनुसार राशिफल देखते हैं। हमने बीच का रास्ता निकाला है, क्योंकि हिंदुस्तानी और अंग्रेजी तिथियों की आपस में बनती नहीं है। वे बराबर खिसकती रहती हैं, सो मैं अपना और पत्नी का राशिफल उसे मानकर पढ़ता हूँ जो एक-दूसरे के विपरीत होता है और मजा देखिए, वह हर हफ्ते सटीक बैठ जाता है।
मेरी राशि है कर्क और पत्नी की वृष। आप जानते हैं कि कर्क केंकड़े को कहते हैं जो बड़ा चैकन्ना और कटखना होता है जबकि वृष बैल को कहते हैं जो थुलथुल शरीर का और बछिया के ताऊवाली बुद्धि का होता है। शारीरिक दृष्टि से राशिफल ठीक है, पर ऐसी विपरीत राशिवाले हम, अपनी जीवन रूपी गाड़ी में जुते उसे आनंद से खींचते चले आ रहे हैं। हमने अपनी गाड़ी में चार संतानें भी जुदा-जुदा राशियोंवाली समय-समय पर आमंत्रित कर बिठा ली हैं। उनके बोझ से हम विपरीत राशिवाले होते हुए विचलित नहीं हैं। हालाँकि जब हमारा विवाह हुआ था, उस समय की वृष राशि की एक कन्या अभी तक कुँआरी है और कर्क राशि के सज्जन की दूसरी पत्नी उनके घर की शोभा बनी उन्हें आनंद दे रही है। पर हम दोनों को इसका कोई गिला नहीं है।
जिस हफ्ते कर्क राशि के मान-सम्मान का योग होता है, उसी हफ्ते वृष राशि के अपमान का योग। हमारा मन आशा-आकांक्षाओं से हर्षित हो उठता है तो पत्नी का मन आशंकाओं और दुर्भावनाओं से भर जाता है। ऐसी स्थिति में न मैं पूरी तरह खुश रह पाता हूँ और न श्रीमतीजी। एक अजीब-सा संतुलन हमारे बीच बना रहता है। यदि मेरे लिए धन की प्राप्ति का योग होता है तो उसके लिए खर्च बढ़ाने का। उस हफ्ते एक-दो साडि़याँ और ब्लाउज पीस घर आ जाते हैं। जिस हफ्ते उसके लिए आर्थिक लाभ का योग होता है, उसी हफ्ते मेरे लिए हानि का। उस हफ्ते कहीं से मनीआॅर्डर नहीं आता, पर उसके ‘वार्डरोब’ की किसी साड़ी में रखा पाँच सौ का नोट मुझे मिल जाता है।
जिस हफ्ते पत्नी के राशिफल में निकट संबंधी से धोखा खाने का योग होता है तो उसकी जासूसी नजरें मुझ पर लग जाती हैं। यदि किसी हफ्ते पत्नी के राशिफल में लिखा होता है कि बचपन के किसी प्यारे दोस्त का पत्र मिलेगा तो मैं पोस्टमैन से खुद चिट्ठियाँ लेने लगता हूँ। यदि मेरी राशि में ‘स्वास्थ्य ठीक नहीं रहेगा’ वाली टिप्पणी होती है तो उसी रात से पत्नी की कमर में दर्द होने लगता है, सिर भारी हो जाता है और नाक बहने लगती है। तब मुझे रात में उठ-उठकर उसके शरीर पर बाम मलनी पड़ती है। दूसरे दिन सुबह चाय बनानी पड़ती है, झाड़ू लगानी होती है और नल से पानी भी भरना पड़ता है। भोजन बनाने में खासा सहयोग देना पड़ता है और हम मिल-जुलकर काम करने वाले आदर्श पति बन जाते हैं। अब बताइए, उस हफ्ते हमारा स्वास्थ्य क्या खाक अच्छा रहता होगा !
कभी-कभी मेरे राशिफल में आता है कि इस हफ्ते आत्मीयों से मिलन होगा। मैं खुश हो जाता हूँ कि कई वर्षों से घर न आए माता-पिता शायद गाँव से आ जाएँ, पर उसी हफ्ते पत्नी की माँ और छोटे भाई घर आ धमकते हैं।मेहमानवाजी का खर्च श्रीमतीजी के लिए सुखद हो जाता है।
कभी-कभी राशिफल में होता है कि साहित्यिक रचना या कलाकृति के सृजन का योग है। उसी हफ्ते पत्नी के स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है। अब बताइए पत्नी के चिड़चिड़ाते रहने पर भी क्या कोई सृजन संभव है ? यह व्यंग्य रचना भी मेरे राशिफल के विपरीत है। मेरी राशि में इस हफ्ते यात्रा पर जाने का योग था, पर हम कहीं नहीं गए। साथ ही लिखा था कि किया हुआ श्रम व्यर्थ जाएगा, पर हमने यह रचना लिख डाली और आप तक पहुँच भी गई। अब मैं अपने पारिश्रमिक के चेक का इंतजार कर रहा हूँ।

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